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देवी सरस्वती की पूजा करने से कला और शिक्षा के क्षेत्र में महारत हासिल: डॉ संतोषानंद देव

हरिद्वार। पूर्वांचल उत्थान संस्था के महासचिव बीएन राय (General Secretary BN Rai) ने कहा कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी विद्या एवं ज्ञान की देवी मां सरस्वती देवी का प्राकट्य दिवस सोमवार, 03 फरवरी 2025 को श्रद्धा एवं उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा। पूर्वांचल उत्थान संस्था के अध्यक्ष सीए आशुतोष पाण्डेय के नेतृत्व में श्री अवधूत मंडल आश्रम बाबा हीरादास हनुमान मंदिर के प्रांगण में महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव महाराज के सानिध्य में भव्य एवं दिव्य कार्यक्रम आयोजन की वृहद स्तर पर तैयारी चल रही है।

पूर्वांचल उत्थान संस्था के अध्यक्ष सीए आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि भारतीय पंचांग के मुताबिक हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 6:51 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि में पंचमी होने से सरस्वती पूजा सोमवार, 03 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में सोमवार,03 फरवरी 2025 को मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और विसर्जन बुधवार, 05 फरवरी 2025 को किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरस्वती पूजा कार्यक्रम में मां सरस्वती कु वंदना, विद्यारंभ संस्कार, सांस्कृतिक संध्या एवं मुर्ति विसर्जन शामिल हैं। श्री अवधूत मंडल आश्रम बाबा हीरादास हनुमान मंदिर के पीठाधीश्वर महंत महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव महाराज ने कहा मान्यता है कि देवी सरस्वती का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था। इस दिन देवी सरस्वती सफेद कमल पर सवार होकर हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण किए हुए प्रकट हुई थीं। इसीलिए हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा मनाई जाती है।

इसी दिन से बसंत पंचमी की शुरुआत भी होती है। देवी सरस्वती को विद्या, ज्ञान, बुद्धि और विवेक की देवी माना जाता है। देवी सरस्वती की पूजा करने से कला और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। देवी सरस्वती को शारदा, वीणावादिनी, वीणा पाणि, भारती, वाग्देवी, महाश्वेता, ज्ञानदा, हंसवाहिनी और वागेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी देवी सरस्वती को समर्पित है। इस दिन देवी हंसवाहिनी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला और शिल्प कौशल की देवी माना जाता है।

वरिष्ठ समाजसेवी रंजीता झा, मिथलेश तिवारी, रामकिशोर मिश्रा, विभाष मिश्रा, रामसागर जायसवाल, आशीष कुमार झा, मिथलेश चौहान, प्रशांत राय, वरूण शुक्ला, अनिल झा, दिलीप कुमार झा, संतोष कुमार,पत्रकार, संतोष झा, रामसागर यादव, कामेश्वर यादव, संतोष यादव, राजेश सिंह, राजेश झा, कमलेश झा, डॉ शम्भू कुमार झा, रूपलाल यादव, गौरव यादव, अवधेश झा, डॉ नारायण पंडित, आचार्य उद्धव मिश्रा, पं विनय मिश्रा, पं भोगेंद्र झा, काली प्रसाद साह, विष्णुदेव ठेकेदार,धर्मेंद्र साह, विनोद शाह,अजय राय,अतुल राय, मुकुल झा, लक्ष्मी प्रसाद त्रिपाठी, राज तिवारी, विवेक तिवारी, ऐश्वर्य पांडेय सहित समस्त संस्थागत सदस्यगण अथक प्रयास कर रहे है।

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