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भजन संध्या कार्यक्रम ने भक्तों को आंतरिक दिव्य महासागर की ओर किया प्रेरित

देहरादून। प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ मेला 2025 (Maha Kumbh Mela 2025) विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन तीर्थ यात्रियों को त्रिवेणी संगम- गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम, पर अनुष्ठान करने का शुभ अवसर प्रदान कर रहा है। पवित्र कुम्भ का यह पर्व भक्तों को पावन स्नान और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए महाकुम्भ मेले में आने के लिए आमंत्रित करता है। भक्तों को आंतरिक दिव्य सागर में ध्यानमग्न करने के लिए, दिव्य गुरु आशुतोष महाराज (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के श्रेष्ठ मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा महा कुम्भ मेला, प्रयागराज में भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का विषय रहा ‘भावांजली’-अर्थात भगवान के चरणकमलों में धर्म व आध्यात्मिक पथ से जुड़े रहने व समाज कल्याण के लिए भक्तिपूर्ण प्रार्थना। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए, दीप प्रज्वलन समारोह के लिए अतिथियों को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में असंख्य श्रद्धालुजन अपने भीतर ईश्वर दर्शन की पिपासा को तृप्त करने के लिए एकत्रित हुए। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बनी भक्तिपूर्ण भजनों की शृंखला, जिसने भक्त हृदयों को आध्यात्म की दिव्य गाथा से जोड़ा। डीजेजेएस प्रतिनिधि साध्वी शैलासा भारती ने बड़े सुंदर व रोचक ढंग से समझाया कि ग्रंथों के अनुसार ईश्वर हम सब के भीतर विद्यमान है और हमें उन्हें अपने भीतर खोजने का प्रयास करना चाहिए।

पूर्ण गुरु की कृपा से अपने भीतर ईश्वर का दर्शन करना संभव है। ब्रह्मज्ञान वह सनातन प्रक्रिया है जिसमें पूर्ण गुरु अपने शिष्य के मस्तक पर कृपा हस्त रख उसके आज्ञा चक्र को सक्रिय कर देते हैं, अर्थात उसके तृतीय नेत्र को जागृत कर देते हैं, तब शिष्य अपनी आत्मा के भीतर ही ईश्वर का दर्शन करता है। जिस प्रकार ‘त्रिवेणी संगम’ गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों का संगम है उसी प्रकार आज्ञा चक्र भी इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ियों (3 ऊर्जा प्रणालियों) का संगम है, जो जीवन शक्ति की आपूर्ति के लिए उत्तरदायी होती हैं।

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